
Nitya Samachar UK
ऋषिकेश।राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद ने नदियों में खनन को लेकर कई तरह के सवाल उठाए हैं, जिसकी तस्दीक उन्हीं के संसदीय क्षेत्र ऋषिकेश में भी हो रही है। यहां गंगाघाट निर्माण के लिए गंगा में रात में जेसीबी चलाकर खनन किया जा रहा है। इस सामग्री का इस्तेमाल घाट के निर्माण के लिए किया जा रहा है। कई स्थानों पर गंगा का चेनलाइजेशन तक कर दिया गया है।
नियम विरूद्ध रात भर गंगा में चल रही जेसीबी से हो रहे खनन से जहां आसपास की आबादी पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, गंगाघाटों के निर्माण में मानक अनुरूप सामग्री का उपयोग नहीं होने से भी गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। खनन और निर्माण सामग्री गंगा के उपखनिज के इस्तेमाल की जानकारी सिंचाई विभाग के अधिकारियों को भी है। बावजूद, वह संबंधित पर किसी तरह का एक्शन लेने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। कार्रवाई नहीं होने से विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी सवालों में है। पूर्व में गंगा में दिनरात जेसीबी चलाने और मानकों के विपरित घाटों के निर्माण में सामग्री के उपयोग की शिकायत भी सिंचाई विभाग से की चुकी है, जिसमें अधिकारियों की चुप्पी संदेह के घेरे में है।
बताते चलें कि, दो मार्च को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने पशुलोक बैराज में शारदा पीठ व मीराबेन घाट के निर्माण का भूमि पूजन किया था। इस निर्माण पर कुल छह करोड़ 61 लाख 69 हजार रूपये खर्च किए जा रहे हैं। निर्माण एजेंसी सिंचाई विभाग है, जिसमें निर्मल बाग के नजदीक बन रहे घाट के लिए कंक्रीट के ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें, तो इन ब्लॉक के निर्माण में क्रेशर की निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाना है।
यह बोले अधिकारी
-निर्माण के लिए टेंडर शर्तों के मुताबिक क्रेशर की सामग्री का ही इस्तेमाल किया जाना है। जेसीबी यहां निर्माण स्थल पर पानी चेनलाइजेशन के लिए चलाई जा रही है। कहीं पर कोई खनन भी नहीं किया जा रहा है। बावजूद, ऐसा है, तो फिर भी इसकी जांच की जाएगी।
सुरेंद्र श्रीकोटी, एसडीओ, सिंचाई विभाग