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ऋषिकेश।उत्तराखंड में भू-कानून की मांग राज्य की जनता काफी समय से कर रही हैं। क्योंकि राज्य में भू-कानून हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सक्रिय न होने के कारण पहाड़ के पहाड़ बाहरी व्यक्त्यिों ने खरीद लिए हैं। यहां तक कि फर्जी कंपनी बनाकर सरकारी भूमि भी अपने नाम कर उसे बाहरी व्यक्यिों ने बेच दिया है। जिस पर शासन-प्रशासन ने अपनी जांच शुरू की थी। लेकिन जमीन का मामला हाई प्रोफाइल लोगों से जुड़ा होने के कारण मामले की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। भू-कानून आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों की सक्रियता के कारण अब एक बार फिर यहां मामला फिर उजागर हो गया है। इस बार तहसीलदार की। रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि टूरिज्म हव बनाने के लिए सरीन टूरिज्म वेंचर को दी गई जमीन को फर्जी तरीके से प्लाटिंग कर बेचा जा रहा है। जिसमें तहसीलदार ने कई बिन्दुओं का खुलासा किया है।
तहसीलदार की जांच रिपोर्ट के अनुसार टिहरी जनपद के ग्राम घुघत्याणी तल्ली पट्टी धामन्दस्यू तहसील नरेन्द्रनगर फसली वर्ष 1427 से 1432 की खतौनी खाता संख्या 25 म 0.016 हेक्टेयर, खाता 35 में 0.085 हेक्टर, खाता संख्या 44 में 0.218 हेक्टेयर,खाता संख्या 45 में 0.35 हेक्टेयर तथा खाता संख्या 48 में 0.058 हेक्टेयर कुल 0.727 हेक्टेयर भूमि सरीन टूरिज्म वेंचर्स निवासी प्रगति विहार द्वारा मैनेजिंग पार्टनर के नाम अभिलेखों में दर्ज है। जिसमें खाता संख्या 25 दर्ज 0.016 हेक्टेयर प्रथम भूमि ऊदय सिंह वलवीर सिंह पुत्र मातबर सिंह, खाता संख्या 35 में दर्ज 0.085 भूमि का प्रथम भूमिधर राम सिंह पुत्र श्याम सिंह, मोहन सिंह पुत्र धर्म सिंह, खाता संख्या 44 में दर्ज 0.218 हेक्टर भूमि रोहित, मोहित, रेशमा देवी पत्नी सुरेन्द्र सिंह, शूरवीर सिंह पुत्र पृथवी सिंह खाता संख्या 45 में दर्ज 0.350 हेक्टर भूमि एसएस मधुकर पुत्र सीएस तोमर तथा खाता संख्या 48 में दर्ज 0.058 हेक्टेयर भूमि का प्रथम भूमि जोत सिंह पुत्र जीत सिंह के नाम दर्ज है। जिसमें प्रथम भूमिधरों द्वारा फसली वर्ष 1415 वर्ष 2007 की भूमि को एसएस मधुकर द्वारा सरीन टूरिज्म वेंचर्स से खरीदी गई। यह भूमि मधुकर द्वारा उक्त कंपनी किस आधार पर खरीदी गई जब इसकी जांच की गई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामाने आये। जांच में पाया गया कि एसएस मधुकर द्वारा उक्त 0.350 हेक्टेयर भूमि किस समय क्रय की गई यह स्पष्ट नहीं हो पाया। जिसके लिए प्रशासन बदोवस्त व पूर्व खतौनी नकल की आवश्यकता बतायी।
जांच रिपोर्ट में तहसीलदार ने कहा कि मौके पर सरिन टूरिज्म वैचर्स का कोई अधिकृत व्यक्ति मौजूद नहीं था और ना ही उनके द्वारा प्रशासन को जांच में सहयोग किया जा रहा है। इसके अलावा एसएस मधुकर के नाम वर्ष 2003 से पूर्व कोई संपत्ती दर्ज नही पायी गई। खास बात यह है कि उक्त भूमि को क्रय करने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है। जांच में पाया गया कि टूरिज्म हब बनाने के लिए सरकार द्वारा दी गई जमीन के कुछ भाग को छोटे-छोटे प्लाट बनाकर बेच गया है। जांच में स्पष्ट कहा गया कि सरिन टूरिज्म वैचर्स के नाम दर्ज 0.727 हेक्टेयर भूमि का उत्तराखंड शासन के आवास अनुभाग की अधिसूचना 8.7.2011 के द्वारा पर्यटन व्यवसाय के लिए उपयोग परिवर्तन किया गया था। लेकिन उक्त फर्म द्वारा भूमि का उपयोग पर्यटन व्यवसाय न करते हुए सरकारी भूमि पर प्लाटिंग कर दी गई। जबकि वर्तमान में उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों कृषि भूमि के रुप में दर्ज है। इतना ही नहीं सरिन टूरिज्म द्वारा भूमि का बिना उपयोग परिवर्तन व बिना जिला विकास प्राधिकरण से नक्शा स्वीकृत किये प्लाटिंग की जा रही है।
सरकारी भूमि खरीद-फरोख्त का मामला यहीं नहीं रूकता सरिन टूरिज्म कंपनी द्वारा 2047 वर्ग मीटर भूमि संजीव थपलियाल पुत्र रमेशचन्द्र थपलियाल निवासी डिफेन्स कालोनी देहरादून को बेच दी। घपले का सिलसिला यहीं नही थमता सरिन टूरिज्म ने अभिलेखों में अपना पता 130 प्रगति विहारा ऋषिकेश अंकित किया है। जबकि विक्रय पत्रों कंपनी का पता मरासा हॉस्पिटलिटि प्रा.लि वख्तावर नरीमन प्वांइट मुम्बई अंकित है। सरकारी भूमि को बेचने के लिए स्थानीय पता अंकित किया था। जांच में पाया गया कि उक्त कंपनी से जुड़े लोगों ने सरकारी भूमि को संजीव थपलियाल, मैक्सीमम इस्पेस प्राइवेट लि. के मुकेश कुमार व विकास उनियाल को बेच है। जिसके बाद उक्त भूमि को संजीव थपलियाल ने इन्दर पाल, अतुल चुघ, मानस चुघ व कविता गावरी को बेच डाली। गौर करने वाली बात यह है कि सरकार के सामने ही सरकारी भूमि को बेचा जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक सरकार उक्त भूमि को अपने कब्जे में नहीं लिया। बताया जा रहा है कि सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द करने लिए जमीन के सौदागर प्रशासन पर दबाव डालने का काम रहे हैं। साथ ही रजिस्ट्रार देवप्रयाग में सरकारी भूमि की रजिस्टरी कर रहा है।
तहसीलदार नरेंद्र नगर अयोध्या प्रसाद उनियाल के द्वारा रिपोर्ट सौंप दी गई। जांच के दौरान उक्त भूमि का विना उपयोग परिवर्तन किये व विना जिला विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध प्लाटिंग की जा रही है। जिस पर रोक लगाने के लिए कहा गया है।
नरेंद्र नगर उपजिलाधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया की तपोवन स्थित 10 बीघा भूमि की रिपोर्ट प्राप्त हुई है,रिपोर्ट के आधार पर फिलहाल प्लॉटिंग और दाखिले पर रोक लगा दी गई है,वहीं दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया गया है जिसने उनको 30 दिनों के भीतर अपना जवाब देने के लिए कहा गया है।