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ऋषिकेश:टिहरी जिले के नरेंद्र नगर तहसील के अंतर्गत तपोवन स्थित 10 बीघा विवादित भूमि इस दिनों खूब चर्चाओं में है,अधिकारियों ने भी उक्त भूमि पर जांच करनी शुरू कर दी है,अधिकारियों की माने तो 10 बीघा विवादित भूमि सरकार में भी निहित हो सकती है!
तपोवन में डिकोंन वैली के पास स्थित 10 बीघा भूमि का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है,आए दिन नए नए विवाद सामने आ रहे हैं,कभी अवैध प्लॉटिंग का विवाद तो कभी भूमि को गलत तरीके से बेचने का मामला सामने आने लगा है,कुछ लोगों ने तो बकायदा इस भूमि को लेकर टिहरी जिलाधिकारी से लिखित शिकायत भी कर चुके हैं,हालांकि अभी तक कोई ठोस कार्यवाही इस पर होती हुई नजर नहीं आ रही है।बीते रोज बृहस्पतिवार को टिहरी विकास प्राधिकरण की टीम भी अवैध प्लॉटिंग पर कार्यवाही के लिए पंहुची थी लेकिन 24 घंटे से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी अभी तक किसी भी तरह की कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है,हालांकि अधिकारी कार्यवाही की बात जरूर कर रहे हैं।
भूमि पर विवाद
तपोवन के डिकोन वैली स्थित 10 बीघा जमीन के रजिस्ट्री में राजस्व विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है,नियमानुसार कृषि योग्य भूमि किसी कंपनी के नाम पर पंजीकृत नहीं हो सकती है, इसके अलावा संपूर्ण भूमि पर स्टांप ड्यूटी की चोरी भी उजागर हुई है, खास बात यह है कि उत्तराखंड से बाहर के निवासी को ढाई सौ वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि क्रय का अधिकार नहीं है, इसके बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से 10 बीघा भूमि एक मुश्त शिरीन टूरिज्म वेंचर के नाम से गठित कंपनी को बेच दो गई जबकि कंपनी 2008 में ही अस्तित्व में आई थी।
सरकार के खाते में निहित हो सकती है भूमि!
तपोवन स्थित 10 बीघा जमीन को लेकर नरेंद्र नगर उपजिलाधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया की तपोवन स्थित भूमि का मामला संज्ञान में है इसको लेकर दस्तावेजों की जांच की जा रही है,उन्होंने कहा की अगर भूमि गलत तरीके से किसी को बेची गई है तो पूरी भूमि सरकार के खाते में निहित हो जायेगी।
देवेंद्र सिंह नेगी,उपजिलाधिकारी नरेंद्र नगर
टिहरी जिले के लैंड बैंक में भी शामिल हो सकती है भूमि
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने अपने जिले में लैंड बैंक बनाने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया था,ऐसे में अगर सरकार तपोवन की 10 बीघा भूमि को अपने लैंड बैंक में शामिल करती है तो सरकार एक अच्छे खासे पर्यटन व्यवसाय के लिए योजनाओं को धरातल पर उतार सकती है।
क्या कहते है एक्सपर्ट?
अधिवक्ता प्रमोद नौटियाल ने बताया की तपोवन स्थित भूमि को अगर 2008 में एकमुश्त किसी बाहरी व्यक्ति को अगर बेची गई है ऐसा हुआ तो वह भू अध्यादेश का उलंघन है ऐसे में उक्त भूमि को सरकार अधिग्रहण कर फर्जीवाड़ा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भू अध्यादेश उलंघन का मामला भी चलाया जा सकता है,वहीं उन्होंने कहा की उक्त भूमि को जिन लोगों ने टुकड़ों में खरीदी है उनको भी विक्रेता को पैसे वापस करना चाहिए और अगर ऐसे में भू विक्रेता पैसे वापस नहीं करता है तो क्रेता को अपने दस्तावेजों के आधार पर न्यायालय की शरण लेनी चाहिए।
प्रमोद नौटियाल,वरिष्ठ अधिवक्ता