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ऋषिकेश:राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क क्षेत्र अंतर्गत गौहरी रेंज में बाघ खाला के पास चंदन के कई पेड़ों पर तस्करों ने आरी चला दी। कई पेड़ों को तस्कर चोरी कर अपने साथ भी ले गए। सबूत के तौर पर कई कटे हुए पेड़ मौके पर भी छोड़ गए। मगर पार्क प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला मीडिया के सामने आया तो पार्क प्रशासन के हाथ पैर फूल गए हैं। मामले में अधिकारी जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।
कहा जाता है कि राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में परिंदा भी अधिकारियों की इजाजत के बगैर पर नहीं मार सकता। मगर चंदन तस्करों ने स्वर्गाश्रम क्षेत्र के बाघ खाला के पास रिजर्व पार्क के अंदर घुस कर चंदन के पेड़ों पर खुलेआम आरी चला दी है। मौके पर कई चंदन के पेड़ों के कटने के सबूत मौजूद हैं। दर्जनों चंदन के पेड़ पार्क क्षेत्र के अंदर कटे हुए पड़े हैं। कई पेड़ों की डाट भी मौके पर मौजूद हैं। चंदन के दर्जनों पेड़ों को तस्कर काटकर अपने साथ ले गए हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद पार्क प्रशासन तस्करों की इस कार्रवाई से बेखबर है। वहीं तस्करों ने पार्क क्षेत्र के अधिकारियों की जंगलों में होने वाली गश्त की भी पोल खोल कर रख दी है। मामला मीडिया में पहुंचा तो पार्क प्रशासन के हाथ पर अब फुले हुए नजर आ रहे है। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के गोहरी रेंजर मदन सिंह रावत ने बताया कि यह मामला मीडिया के माध्यम से ही उनके संज्ञान में आया है। मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं सूत्रों का दावा है कि चंदन के पेड़ों पर तस्करों ने आरी आजकल मे नहीं बल्कि दीपावली के त्योहार से पहले चलाई है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार पार्क प्रशासन क्या जंगलों के अंदर गश्त करने ही नहीं जाते। या फिर पार्क प्रशासन की मिलीभगत से ही तस्करों ने चंदन के पेड़ों पर एक के बाद एक आरी चलाई गई है। जानकारों के मुताबिक वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार के अंदर एक चंदन के पेड़ की कीमत लाखों रुपए है। ऐसे में तस्कर चंदन के पेड़ों को बेचकर रातो रात कैसे करोड़पति बन रहे हैं यह आसानी से समझा जा सकता है।
पार्क प्रशासन की मिलीभगत या फिर लापरवाही!
बाघखाला के पास घने जंगल के भीतर से एक या दो नहीं बल्कि दर्जन भर चंदन के पेड़ों को काट कर ले जाना और इसकी भनक किसी भी पार्क कर्मचारी या अधिकारी को नहीं लगना यह बात किसी के गले से नही उतर रही है। दरअसल,बाघखाले के पास फॉरेस्ट की चौकी इसके साथ ही बैराज पर भी फॉरेस्ट की चौकी है ऐसे में चंदन के पेड़ों को काट ले जाना कुछ और ही इशारा कर रही है।