शहर की बदसूरती के लिए भले ही नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन लोनिवि, एमडीडीए, जलसंस्थान, जल निगम, ऊर्जा निगम सहित अन्य विभाग की इसमें बराबर की जिम्मेदार हैं। अगर यह सभी विभाग शहर को सुंदर बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें और नगर निगम के साथ मिलकर काम करें तो दून शहर इंदौर की तरह ही स्वच्छ और सुंदर शहरों की सूची में टॉप पर आ जाएगा।
दसअसल, दून को स्वच्छ और सुंदर बनाने का जिम्मा केवल नगर निगम के कंघों पर डाला जाता है। इसलिए शहर की बदसूरती का ठीकरा भी नगर निगम पर ही फोड़ा जाता है। लेकिन, जलनिगम, जल संस्थान अपने कार्यों के लिए सड़कों को खोदते हैं और मलबा ऐसे ही सड़क किनारे छोड़ देते हैं। लोनिवि इन विभागों से रोड कटिंग का पैसा लेता है, लेकिन वह भी मलबे को नहीं हटवाता। लोनिवि के फुटपाथ, सड़कों पर अतिक्रमण पसरा रहता है। यह मलबा और अतिक्रमण भी शहर की खूबसूरती में दाग हैं।
शहर को खूबसूरत बनाने का जिम्मा एमडीडीए के पास भी है, लेकिन अवैध और मानकों के बिना निर्मित अवस्थाओं पर एमडीडीए का पूरा अंकुश नहीं होता है। बिना जांचे नक्शे पास किए जा सकते हैं, जिससे बाद में अन्य विभागों को समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऊर्जा निगम की बात करें, शहर या शहर से सटे गाँवों में बिजली के खम्भों पर अव्वल ढंग से लगे विज्ञापन, तारों के जाल लटके हुए हैं। हालांकि, इस बात से ऊर्जा निगम के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन यदि आगामी स्वच्छता सर्वेक्षण में दून को टॉप शहरों की श्रेणी में शामिल करना है, तो नगर निगम के साथ-साथ इन विभागों को भी बराबरी की जिम्मेदारी निभानी होगी। इसी रूप में ही दून को एक स्वच्छ और सुंदर शहर बनाने का संभावना हो सकता है।
नगर निगम ने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए लगातार प्रयास किया है। इसमें अन्य विभागों को भी नगर निगम का समर्थन देना चाहिए, ताकि दून को देशभर में स्वच्छ और सुंदर शहरों में शामिल किया जा सके।
सुनील उनियाल गामा, मेयर नगर निगम