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ऋषिकेश:प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और कद्दावर नेता सुबोध उनियाल के एक बयान ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। राज्य स्थापना दिवस पर उनका यह कहना था कि वह अगली बार नरेंद्र नगर से विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे यह बयान उनके समर्थकों के गले नहीं उतर रहा है। मंत्री के इस बयान से समर्थक काफी आहत भी नजर आ रहे हैं। हालांकि, अब इंतजार इस बात का है कि आखिर सुबोध उनियाल ने यह बयान दिया क्यों? उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं, तो कहीं अब इसपर कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है।
राजनीति जगत में खुद की अलग पहचान रखने वाले कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने राज्य स्थापना दिवस पर नरेंद्र नगर में आयोजित कार्यक्रम में एक बयान देकर सभी को चौंका दिया है। टाउन हॉल में राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने खुले मंच से जब यह कहा कि अब वह नरेंद्र नगर विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, तो मौजूद समर्थक और आंदोलनकारी हैरान रह गए।
क्या इस बात से हैं सुबोध आहत?
उत्तराखंड में नरेंद्र नगर विधानसभा एक आदर्श विधानसभा के रूप में देखी जाती है,इसका पूरा श्रेय भी सुबोध उनियाल को जाता है,इसके बावजूद भी हर विधानसभा चुनाव में सुबोध उनियाल को अपने प्रतिद्वंदी से संघर्ष करने के बाद नजदीकी जीत हासिल होती है,नरेंद्र नगर विधानसभा में विकास कार्यों में किसी भी तरह की कमी ना करने के बावजूद भी जब विधानसभा चुनाव में शराब का चलन, क्षेत्रवाद और जातिवाद का जहर जिस तरह से चुनाव के दौरान बोया जाता है उससे वह काफी आहत दिख रहे हैं, शायद यही कारण है कि सुबोध उनियाल ने नरेंद्र नगर विधानसभा सीट से अब कभी भी चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया है।
नरेंद्र नगर विधानसभा के लिए क्या रहा योगदान
अपने बेबाक अंदाज और लोगों की मदद करने में कभी न पीछे हटने वाले उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल 4 बार नरेंद्र नगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं,उन्होंने अपने हर कार्यकाल में अपनी विधानसभा को बुलंदियों तक पहुंचाने का भरसक प्रयास किया है, उन्होंने नरेंद्र नगर विधानसभा में शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने की बात हो हर क्षेत्र में उन्होंने अपना शत प्रतिशत योगदान दिया है, दोगी पट्टी क्षेत्र में उप तहसील, गजा में तहसील, गजा को नगर पंचायत बनाना हो, पॉलिटेक्निक कॉलेज सहित कई ऐसे कार्य किए हैं जिसका लोहा आज सभी लोग मानते हैं,नरेंद्र नगर विधानसभा में शायद ही कोई ऐसा गांव हो जो सड़क से वंचित हो,सुबोध उनियाल सिर्फ अपने प्रशंसकों की ही नहीं बल्कि अपने विरोधियों की भी मदद करने से भी पीछे नहीं हटते।यही सारी बातें सुबोध उनियाल को सभी नेताओं से अलग बनाती है।
नरेंद्र नगर में 44 इंटर कॉलेज, 22 हाई स्कूल, 4 डिग्री कॉलेज, 3 पॉलिटेक्निक और 5 आईटीआई वाले शिक्षा क्षेत्र में सबसे आगे हैं। पहली बार चुने जाने के बाद से, उन्होंने क्षेत्र में 3000 किमी से अधिक सड़कों का निर्माण किया है और अब उनके निर्वाचन क्षेत्र में शत प्रतिशत सड़क संपर्क है, जो एक पहाड़ी क्षेत्र के लिए बहुत दुर्लभ है।
इसके अलावा जानकी सेतु का निर्माण,चंद्रभागा पुल का निर्माण,पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, ढालवाल मुनी की रेती को नगर पालिका बनाना,गजा को नगर पंचायत,तपोवन को नगर पंचायत,दोगी पट्टी में उपतहसील,गजा में तहसील,मुनी की रेती में विद्युत सब स्टेशन,चौदहबीघा क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ना,युवाओं के लिए पूर्णानंद मैदान वर्तमान में बजरंग सेतु का निर्माण कार्य शुरू करना।
राजनीति सफर
सुबोध उनियाल ने उत्तर प्रदेश से राजनीति में अपने सफर की शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के समन्वयक बनकर की। 1981 में, वह यूथ फॉर डेमोक्रेसी नामक संगठन के राज्य महासचिव बने। सुबोध उनियाल आधिकारिक तौर पर 6 जून 1989 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने। 1996 में, उन्हें राजनीतिक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला टिकट दिया गया था। हालांकि, उन्हें कोई चुनाव चिह्न नहीं दिए जाने के कारण अंतिम समय में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था।
उन्होंने 2002 में नरेंद्र नगर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के हिस्से के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ा और 1537 मतों से चुनाव जीता। उन्हें उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का प्रधान सलाहकार नियुक्त किया गया था । 2007 में, उन्होंने उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजेता घोषित होने के बाद, वे अपने डाक मतपत्रों को अमान्य माने जाने के कारण 4 मतों से पुनर्गणना पर चुनाव हार गए। इसने उन्हें 2012 में इस सीट से फिर से चुनाव लड़ने से नहीं रोका और बाद में 401 वोटों से चुनाव जीत गए। हरीश रावत और उनकी भ्रष्ट प्रथाओं से असंतुष्ट होकर उन्होंने हरीश सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और 8 अन्य विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाने का फैसला किया जिसके कारण उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर से नरेंद्र नगर निर्वाचन क्षेत्र के टिकट पर भरोसा किया गया और उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को निराश नहीं किया और उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे क्योंकि उन्होंने भारी अंतर से चुनाव जीता। 4972 वोट। तब से, वह मंत्रिपरिषद का हिस्सा रहे हैं और उन्हें निम्नलिखित विभाग सौंपे गए हैं:
कृषि
कृषि विपणन
कृषि प्रसंस्करण
कृषि शिक्षा
वृक्षारोपण और बागवानी
रेशम विकास।
हाल ही में संपन्न 2022 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में, सुबोध उनियाल नरेंद्र नगर निर्वाचन क्षेत्र से चौथी बार और लगातार तीसरी बार निर्वाचित हुए, क्योंकि वह 1798 मतों के अंतर से विजयी हुए थे। वर्तमान सरकार ने सुबोध उनियाल के पास वन मंत्रालय का जिम्मा है।
यह लगाए जा रहे हैं कयास
राजनीति के धुरंधरों की माने तो अब सुबोध उनियाल दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार है, सभवतः सुबोध उनियाल अब लोक सभा चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि वे टिहरी या पौड़ी गढ़वाल किस सीट से लड़ेंगे यह समय आने पर ही पता चल सकेगा,वहीं कुछ का यह भी मानना है की आने वाले विधानसभा चुनाव में अब सुबोध उनियाल ऋषिकेश विधानसभा सीट से चुनाव लडेंगे!