
Nitya Samachar UK
ऋषिकेश-चारधाम यात्रा उफान पर है।लेकिन अब तक यात्रा से जुड़ी व्यवसथाओ के झोल दूर करने में प्रशासन नाकाम रहा है। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में ऑटो चालक लोकल सवारियों को लगातार नजर अंदाज कर रहे हैं जिसकी वजह से अपने गंतव्यों पर पहुंचने के लिए नोकरी पेशा लोगों ,छात्र छात्राओं सहित एम्स के रोगियों एवं उनके तीमारदारों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इस गंभीर समस्या पर अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने आवाज उठाई है।महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया कि चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद तिपहिया चालकों का मनमाना रवैय्या देखने को मिल रहा है।श्रद्वालुओं की जबरदस्त भीड़ रोजाना यात्रा के मुख्य द्वार में उमड़ रही है।लेकिन प्रशासन ने न तो ऑटो के रूट तय किए हैं और न ही उनका किराया। इसके चलते यहां आने वाले यात्री आए दिन उनकी मनमर्जी का शिकार हो रहे हैं। लोकल यात्री भी तिपहिया चालकों की मनमर्जियों की वजह से परेशान हैं।उन्होंने कहा कि लोकल यात्रियों के लिए अलग से ऑटो के रूट तय होने चाहिए।ऑटो तय रूट पर ही चलें साथ ही हर रूट पर उनका किराया भी तय होना चाहिए। यह निर्धारण पूर्व के वर्षों में प्रशासन करता था। तय व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक ऑटो में उसका निर्धारित रूट, किराया सूची और आपातकाल सहायता नंबर का होना जरूरी है। पर, धर्मनगरी में प्रशासन ने यह व्यवस्था नहीं की है।
उन्होंने कहा कि तीर्थ नगरी में चलने वाले ऑटो लोगों के लिए असुविधा और परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। ऑटो पर निर्भर रहने वाले लोगों को रोजाना चालकों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। मामला सिर्फ यहीं तक सीमित नही है बल्कि सड़क पर गलत तरीके से ऑटो खड़े करना, निर्धारित संख्या से ज्यादा सवारी बिठाने के लिए देर तक ऑटो रोकना, गलत साइड में चलाना ऑटो में तेज आवाज में टेप बजाने सहित अन्य वजह से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। इतना ही नहीं ऑटो चालक यूनियन की ओर से जारी नई किराया सूची को भी नहीं मान रहे है, यदि कोई यात्री किराए को लेकर बातचीत करता है तो यात्रियों से झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। रात को मनमाना किराया वसूल करते हैं। उन्होंने लापरवाही और नियम के विरुद्ध ऑटो चलाने वालों के खिलाफ एआरटीओ एवं पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।