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ऋषिकेश:तीर्थनगरी ऋषिकेश की पहचान मठ,मंदिर,आश्रम और धर्मशालाये हुआ करती थी लेकिन अब धीरे धीरे ये समाप्ति की कगार पर हैं,तीर्थनगरी में आश्रम और धर्मशालाओं को भू-माफियाओं का सिंडीकेट निगल रहा है,धर्मशालाओं को भू माफियाओं के चंगुल से निकालने के लिए मेयर ने तैयारी शुरू का दी है।
चारधाम का प्रवेश द्वार है ऋषिकेश जहां दूर-दूर से आने वाले यात्री आकर आश्रम और धर्मशाला और आश्रमो में ठहरते है,लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यंहा जमीनों के दाम आसमान छूने लगे यही कारण है की भू महियाओं की नजर धर्मशालाओं पड़ी और ये उसे अपने कब्जे में लेने लगे,भू माफिया धर्मशालाओं को औने पौने दामों पर खरीद कर शापिंग काम्प्लेक्स बनाने की तैयारी कर रहे हैं,स्थानीय लोगों की माने तो 30 वर्ष पहले ऋषिकेश में लगभग 100 से अधिक धर्मशालाएं हुआ करती थी,पर अब गिनी चुनी ही बची है,लोगों का कहना है की उनके द्वारा कई बार प्रशासन को इसके खिलाफ शिकायत की गई लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है,अब स्थानीय लोगों का कहना है की अगर जल्द ही इन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो वो दिन दूर नहीं जब ऋषिकेश में धर्मशालाओ का अस्तित्व मिट जायेगा।
राज्य गठन से पहले ऋषिकेश में करीब 100 से भी अधिक आश्रम और धर्मशालायें हुआ करती थी जंहा यात्री ठहरते थे, लेकिन अब भू माफिया धर्मशालाओ को खरीदकर इन्हें खुर्द बुर्द करने में लगे है,जबकि नियमानुसार धर्मशालाओ और आश्रमो की खरीद फरोख्त नहीं की जा सकती,लेकिन ऋषिकेश की भिवानी धर्मशाला,मोदी भवन,लक्ष्मी भक्ति आश्रम,सहारनपुर वाली धर्मशाला,दादू बाड़ा आश्रम सहित कई धर्मशालाएं भू माफियाओं के चंगुल में हैं,अब कलकत्ता वाली धर्मशाला को भी निगलने की तैयारी भू माफिया करने लगे हैं।
ऋषिकेश में धर्मशालायें लगातार खुर्द बुर्द हो रही है और प्रशासन आँख मूदकर सोया हुआ है,यही कारण है की भू माफियायों के हौसले बुलंद हैं,अलाम यह हो गया है कि चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश पहुंच रहे लोगों को सर छुपाने के लिए छत तक नसीब नहीं हो रही है और वे लोग खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे हैं,इस वजह से कहीं ना कहीं ऋषिकेश की छवि भी अन्य प्रदेशों में धूमिल हो रही है।