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दिल्ली डेस्क:केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी बात कही है जिससे राजनीतिक गलियारों में खलबली मच सकती है। जी हां सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि जिन राज्यो में हिंदू या अन्य समुदाय के लोगो की जनसंख्या कम है उन्हें उस क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया जाए,ताकि उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय में मिलने वाले सभी लाभ आरक्षण इत्यादि मिल सके और शासन द्वारा उनके संस्थानों की स्थापना की जा सके।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में महाराष्ट्र में यहूदियों के मामले का हवाला देते हुए भी कहा कि साल 2016 में महाराष्ट्र सरकार ने यहूदियों को अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल किया था। केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की स्थापना अल्पसंख्यकों के विकास के साथ सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए की गई थी ताकि भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेने का सामान अवसर मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर कर केंद्र सरकार से राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा निर्देश देने की मांग करते हुए कहा है कि दस राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए है लेकिन केंद्र की ओर से अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई किसी भी योजना का लाभ उन्हें नही मिल रहा है। इस मामले में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से हलफनामा दिया गया और कहा गया कि बीजेपी नेता और अश्विनी कुमार उपाध्याय ने जो जनहित याचिका दायर की है उसमें दावा किया है कि यहूदी,बहावद, और हिंदू धर्म के लोग मिज़ोरम, लद्दाख, लक्षद्वीप, कश्मीर,नागालैंड,मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, में अल्पसंख्यक है और पंजाब मणिपुर में भी उनका प्रशासन नही है, जिसकी वजह से उनका अपना कोई संस्थान ही नहीं है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि वे उन सभी राज्यो में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन कर सकते है, राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा निर्देश निर्धारित करने के लिए सम्बंधित राज्य सरकारों द्वारा विचार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में ये भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 को बनाया गया था यदि ये विचार है कि अकेले राज्य के पास इस विषय पर कोई कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाये तो संसद को उसकी शक्ति से वंचित कर दिया जाएगा, जो संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ होगी। अब इस मामले में आज सुनवाई होनी है।