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ऋषिकेश:केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए टनल निर्माण से नरेंद्रनगर ब्लॉक का अटाली गांव में खतरे की जद में आ गया है। गांव में दर्जनों घरों में टनल निर्माण से दरारें पड़ चुकी हैं। अब ग्रामीणों के खेत भी दरक रहे हैं, जिससे ग्रामीणों के रात और दिन खतरे के साए में गुजर रहे हैं।
दरअसल, अटाली गांव के नीचे पहाड़ को काटकर रेल विकास निगम टनल का निर्माण कर रहा है। टनल से ग्रामीणों के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। जमीन के दरकने का यह सिलसिला अब खेतों तक पहुंच गया है। ग्रामीणों घरों और खेतों में दो से तीन फीट चौड़ी दरारें आने से खौफ में हैं। ग्रामीण ग्रामीण मनोज चौहान, बीर सिंह, गोविंद चौहान, गजेंद्र सिंह, इंद्र सिंह, सरदार सिंह पुंडीर, किरन चौहान और विकास रयाल आदि ने का कहना है कि गांव की माटी से उनका पीड़ी-दर-पीड़ी का नाता और भावनात्मक लगाव है।
वह इससे छोड़ने के लिए सिर्फ एक शर्त पर तैयार हैं कि उन्हें विस्थापन किया जाए, तो 10 गुना ज्यादा जमीन मिले। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मुहैया कराए जाए। कहना है कि रेल लाइन निर्माण का कभी विरोध नहीं किया। अब गांव खतरे की जद में है, तो सरकार को मांग के प्रति सकारात्मक कदम उठाना चाहिए। बावजूद, ऐसा नहीं होता है, तो ग्रामीणा के सामने परिवार और पशुओं के साथ सड़क पर बैठकर आंदोलन करने सिवाए कोई रास्ता नहीं है।
रेल निगम के अधिकारी की सुने
गांव की भू-गर्भीय जांच कराई है। सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद से मुख्यालय को भेजा जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीणों की मांग को लेकर एकराय संबंधी प्रस्ताव भी भेजा जाएगा। मुख्यालय के दिशा-निर्देश मिलते ही मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
भूपेंद्र सिंह
उप महाप्रबंधक, रेल विकास निगम
सुने तहसीलदार की
नौ जनवरी को ग्रामीणों के साथ एक बैठक प्रशासन ने रखी है, जिसमें सभी की बात को सुना जाएगा। गांव और ग्रामीणों को सुरक्षित रखने के लिए हर कदम उठाया जाएगा। बैठक में बातचीत के बाद ही इस मामले में कोई फैसला प्रशासन लेगा।
अयोध्या प्रसाद उनियाल
तहसीलदार, नरेंद्रनगर