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ऋषिकेश:आज संत समाज में शोक की लहर है, धर्मनगरी हरिद्वार के साथ-साथ देश के सभी साधु संत गमगीन हैं,शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने की खबर के बाद हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में सन्नाटा पसर गया है, 99 वर्ष की आयु में जगतगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन हो गए हैं, हरिद्वार के कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में संत शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने का समाचार मिलने से शोकाकुल है। भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने जगदगुरु शंकराचार्य महाराज के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की है।
भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने अर्पित की श्रद्धांजलि
सनातन संस्कृति एवं भारतीय जीवन मूल्यों के संरक्षणनार्थ अहर्निश प्रयत्नशील धर्म अध्यात्म एवं भगवत भक्ति का उपदेश प्रदान कर भारतीय जनमानस के श्रेष्ठ मार्गदर्शक एवं स्वनामधन्य पुष्यश्लोक ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के गोलोकगमन से सनातन धर्म की बड़ी एवं अपूरणीय क्षति हुई है,परम पूज्य शंकराचार्य महाराज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे हैं, उन्होंने अपनी तप साधना से सेवा तथा लोक कल्याणकारी कार्यों के माध्यम से समाज को एक नई चेतना प्रदान की है,वे भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं तथा भारत साधु समाज के माध्यम से भारत के समस्त साधु संप्रदायों को एकत्रित कर राष्ट्र एवं समाज के उन्नयन के साथ-साथ भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के प्रति भी प्रयत्नशील रहे हैं, उनका यह संगठन आज भी उसी दिशा में कार्य कर रहा है, पूज्य महाराज का मेरे गुरुदेव ब्रह्मलीन देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के समय से ही जयराम आश्रम के साथ अत्यंत पुराना संबंध रहा है, मुझे भी उनका निरंतर वात्सल्य एवं स्नेहआशीष प्राप्त होता रहा है, उनके द्वारा समय-समय पर प्राप्त मार्गदर्शन मेरे संत जीवन के लिए कल्याणमय पाथेय के रूप में सिद्ध हुआ है, मैं ब्रह्मलीन परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज को जयराम आश्रम परिवार व भारत साधु समाज की ओर से अपनी भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं,भारत साधु समाज के सह महामंत्री स्वामी चिन्मयानंद महाराज परमार्थ आश्रम हरिद्वार ने भी पूज्य महाराज के श्रीचरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, पूज्य शंकराचार्य महाराज की परंपरा एवं विचारों का संरक्षण निरंतर होता रहे यही पूज्य शंकराचार्य महाराज के प्रति सच्ची एवं सार्थक श्रद्धांजलि होगी।
संत समाज में शोक की लहर
धर्मनगरी हरिद्वार में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से संत समाज में शोक की लहर है, निरंजनी पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने इसे सनातन धर्म की बहुत बड़ी क्षति बताया है, उन्होंने सन्यास परंपरा में शंकराचार्य के महत्व को बताते हुए कहा कि आज पूरा संत समाज इस क्षति से आहत है,इसके साथ ही महानिर्वाणी अखाड़े के महंत रवीन्द्रनंद भी शंकराचार्य के साथ जुड़ी हुई यादों को साझा किया उन्होंने उनके ज्ञान और सरल स्वभाव से जुड़े समय को साझा किया
यहां ली अंतिम सांस
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली,वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे, द्वारका की शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ बदरीनाथ के शंकराचार्य ने 2 सितंबर को ही अपना 99 वां जन्मदिवस मनाया था, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमत्री अमित शाह सहित कई राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।