पौड़ी और हरिद्वार लोकसभा सीटों पर BJP आला कमान Extra Alert है.दोनों जगह ख़ास तौर पर PM नरेंद्र मोदी समेत आला कमान बहुत सोच-समझ के उम्मीदवार उतारने के हक़ में है.जातीय समीकरण और दावेदार प्रत्याशियों के Social Touch और Local ज्ञान को बेहद तवज्जो दी जा रही है.इस बीच अंदरूनी सियासत का दौर भी शुरू हो चुका है.ये भी हवा जिसको अफवाह कह सकते हैं, उड़ाई जा रही थी कि CM पुष्कर सिंह धामी को नैनीताल सीट से उतारा जा सकता है.इस सीट पर मौजूदा MP और केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट का नाम फाइनल किया जा चुका है.
देश में अयोध्या राम मंदिर और मोदी असर माना जा रहा है.इसके बावजूद BJP आला कमान की सोच कुछ जुदा है.वह इस हक़ में है कि जिसको भी लोकसभा चुनाव में उतारा जाए, उसका खुद का भी रसूख उस सीट पर हो, जहाँ से उसको उतारा जाता है.सिर्फ मोदी-मंदिर के भरोसे न रहे.पौड़ी और हरिद्वार सीट पर ये समीकरण प्रमुखता से देखा जा रहा है.मोदी-शाह-संघ ने इसके चलते ही दोनों जगह प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मुहर ठोंकने से हाथ रोक दिया है.
नैनीताल में अजय भट्ट..अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ में अजय टम्टा और टिहरी में महारानी माला राज्यलक्ष्मी के नामों पर कल भोर होने से पहले ही दिल्ली में मोदी की अगुवाई वाली Central Parliamentary Board मंजूरी दी चुका है.पौड़ी के फेर में ही हरिद्वार सीट पर पंगा पड़ा हुआ है.दिल्ली BJP सूत्रों के मुताबिक PM मोदी ने दोनों सीटों को Hold पर डाला है.
इन सीटों पर दो किस्म की राय सामने आ रही.1-अन्य तीनों सीटों की तरह पौड़ी-हरिद्वार में भी Sitting-Getting Formula अपनाया जाए.2-युवा-ठोस भौगोलिक जानकारी वाले और Social Touch वाले सक्रिय लोकप्रिय चेहरे को स्थानीय जातीय समीकरण को सामने रखते हुए फैसला किया जाए.पहले Formula में मौजूदा MPs तीरथ सिंह रावत (पौड़ी) और डॉ रमेश पोखरियाल निशंक (हरिद्वार) Fit बैठते हैं.
पौड़ी ठाकुर बाहुल्य और हरिद्वार मिश्रित धर्म (हिन्दू-मुस्लिम) और जाति वाली सीट है.इसी वजह से पौड़ी सीट पर अधिकांश मजबूत दावेदार (तीरथ-त्रिवेन्द्र सिंह रावत-दीप्ती रावत-डॉ धन सिंह रावत-सतपाल महाराज) क्षत्रीय हैं.ब्राह्मण दावेदार सिर्फ अनिल बलूनी और स्पीकर ऋतु खंडूड़ी है.तीरथ इनमें ऐसे दावेदार हैं, जो कुर्सियों के मामले में सबसे समृद्ध अनुभव रखते हैं.वह आसमान के सभी सितारे अपनी झोली में भर चुके हैं.
वह MLC-स्वामी मंत्रिपरिषद का हिस्सा-विधायक-MP-CM और State BJP President रह चुके हैं.त्रिवेंद्र विधायक और CM रहे हैं.सतपाल और ऋतु-धन सिंह को अगंभीर दावेदार माना जा रहा है.असली टक्कर TSR-1-2 बनाम युवा चेहरों बलूनी-दीप्त्ती के बीच मानी जा रही है.आला कमान ये भी जरूर देखना चाहेगा कि क्षेत्र का भौगोलिक ज्ञान और सामाजिक संपर्क किसका अधिक है!
सम्बंधित सीट Area में किसकी स्वीकार्यता अधिक है,इसको भी मानक मान सकता है.आँख बंद कर के टिकट शायद ही किसी को दिया जाएगा.जातीय समीकरण तो देखा ही जाएगा.CM पुष्कर की राय किसके हक़ में अधिक है, इसकी भूमिका बहुत अधिक रहेगी.दोनों TSR-AB-DR के बीच टिकटों की जंग का नतीजा एक-दो दिन के भीतर एक और बैठक आला कमान और CM के बीच बैठक के बाद आ सकता है.
हरिद्वार सीट के प्रत्याशी का फैसला लटकने का मतलब ये है कि निशंक सबसे मजबूत दावेदार होने के बावजूद स्वाभाविक-कुदरती पसंद CPB-मोदी-शाह के शायद नहीं रह गए हैं.अलबत्ता,पौड़ी सीट पर सब कुछ ठीक रहा और झंझट ने जन्म नहीं लिया तो निशंक के ही खाते में दावेदारी आ सकती है.CM पुष्कर के साथ उनका गणित ठीक भी है.
हरिद्वार सीट पर फैसला Hold रखने की वजह हो सकती है.CPB-मोदी-शाह-CM को अगर ये लगेगा कि बलूनी और त्रिवेंद्र को पौड़ी में लड़ाया नहीं जा सकता है तो क्यों न उनको हरिद्वार में उतारने पर विचार किया जाए.वहां के मजबूत क्षत्रप निशंक-मदन कौशिक (पूर्व मंत्री-पूर्व State BJP President)-स्वामी यतीश्वरानंद (पूर्व मंत्री) उस सूरत में क्या रुख अपनाते हैं, उस पर भी आला कमान निस्संदेह गौर करना चाहेगा.
इतने सारे अगर-मगर के चलते मोदी-शाह-CPB जल्दबाजी से बच रहे.BJP आला कमान इन तथ्यों को भी नजर अंदाज नहीं कर सकेगा कि हरिद्वार सीट सबसे टेढ़ी किस्म की है.वहां मुस्लिम और दलित-पिछड़ों की बहुतायत है.जो Congress को बहुत माफिक आते हैं.पिछले लोकसभा चुनाव में पत्थर-पेड़ को भी खड़ा कर देते तो वह MP बन जाते, उस किस्म की सूरत थी.वैसी सियासी फिजां कम से कम इस बार नहीं है.
वहां के माहौल को समझ के उसमें घुस के सियासत करने का दम BJP में हर किसी में नहीं है.निशंक को सियासत के चतुर-अनुभवी खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है.उनके अलावा अन्य चेहरों पर दांव खेलना पार्टी के लिए घातक भी साबित हो सकता है.Congress-सियासत में हरीश रावत बेशक ढलते सूरज समझे जा रहे लेकिन सामान्य राजनीतिक माहौल में वह वोटर की नब्ज पकड़ने में माहिर हैं.
समीक्षकों का मानना है कि BJP के लिए हरिद्वार सीट पर प्रत्याशी Selection में ज़रा भी चूक महँगी पड़ सकती है.हरीश ने झोली खोल के आखिरी बार चुनाव लड़ने और लोगों से खुद को जितवाने की निरीह भिक्षावृत्ति कर दी तो वह BJP की 5 की 5 सीट राज्य में जीतने के अभियान का बहुत बड़ा रोड़ा बन सकते हैं.खास तौर पर ये देखते हुए कि उत्तराखंड BJP के भीतर अंदरूनी सियासत अंगड़ाई ले रही है.
मुख्यमंत्री पुष्कर का नाम नैनीताल सीट के लिए उछालने की भी कोशिश की गई.जो कोरी अफवाह से अधिक नहीं.ये साफ़ नहीं हो पा रहा कि इसके पीछे मंशा अजय भट्ट की दावेदारी निबटाने की अधिक रही होगी या फिर CM पर हाथ डालने का दुस्साहस! दोनों ही मामलों में साजिशकर्ताओं-योजनाकारों के हाथ नाकामी लगी है.
ये समझाने की जरूरत नहीं कि PM मोदी की अगुवाई में मुख्यमंत्री पुष्कर के दम पर आज उत्तराखंड में BJP जबरदस्त ताकत बन चुकी है..सरकार हर किस्म के संकट-झंझटों से आराम से पार पा के गंगा की लहरों सरीखी अविरल बह रही..उसके मुखिया को इतनी जल्दी केन्द्रीय सियासत में लाने की सोचना भी बेमानी है.बाकी हस्तिनापुर में चल रहे सियासी चौपड़ के खेल पर सभी की नजरें टिकना स्वाभाविक है.