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ऋषिकेश: राज्य वित्त आयोग के तहत ऋषिकेश नगर निगम को जारी तिमाही बजट पर विवाद हो गया है। बजट में बढ़ोत्तरी नहीं होने से मेयर और पार्षद बेहद नाराज हैं, तो उन्होंने अब बजट को ही सरेंडर करने की चेतावनी दे दी है। बावजूद, धनराशि नहीं बढ़ने पर सामूहिक इस्तीफा दिए जाने का भी ऐलान कर दिया है।
मंगलवार को नगर निगम सभागार में मेयर अनीता ममगाईं की अध्यक्षता में बोर्ड की अहम बैठक हुई, जिसमें राज्य वित्त मद से जारी तिमाही बजट में सात साल बाद भी धनराशि नहीं बढ़ाने की बात कही गई। मेयर और पार्षदों ने इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए बजट वित्त विभाग को वापस भेजने का फैसला लिया।
पार्षद विकास तेवतिया ने कहा कि नगरपालिका से अपग्रेड कर ऋषिकेश को नगर निगम तो बना, लेकिन बजट आज भी नहीं बढ़ पाया है। हैरानी जताई कि राज्य की लगभग हर निकाय के बजट में इजाफा किया गया है, मगर अकेले ऋषिकेश के तिमाही बजट में एक चव्वनी भी नहीं बढ़ाई गई है। बताया कि ऋषिकेश निगम में करीब 40 हजार की आबादी नई जुड़ी है। जबकि, आसपास के इलाकों में भी निगम साफ-सफाई और पथ-प्रकाश की सुविधा उपलब्ध कर रहा है।
कांग्रेस पार्षद दल के नेता मनीष शर्मा ने कहा कि ऋषिकेश नगर निगम के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है आज अध्यक्ष इस बैठक में बजट बढ़ाने की मांग की गई है अगर इसके बावजूद भी बजट बढ़ाया नहीं जाता है तो इसके लिए आंदोलन भी किया जाएगा।
मेयर ने कहा कि निगम कर्मचारी की हर महीने की तनख्वाह ही लगभग डेढ़ करोड़ रुपए है। ऐसे में यह बजट, तो कर्मचारी के मासिक वेतन पर ही खर्च है। शहर के विकास के लिए इसमें एक फूटी कोड़ी भी नहीं बचेगी। लिहाजा, बोर्ड के सामने बजट को सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। बताया कि वह इस बाबत प्रतिनिधिमंडल के साथ क्षेत्रीय विधायक और शहरी व वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से भी मुलाकात करेंगी।
बावजूद, बजट नहीं बढ़ता है, तो बोर्ड के सदस्य सामूहिक इस्तीफा देने को मजबूर होंगे। बोलीं, उम्मीद थी कि इस दफा ऋषिकेश को बजट बढ़ाकर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं। बजट सरेंडर करने पर कर्मचारियों की तनख्वाह से जुड़े सवाल पर मेयर ने कहा कि ऐसे मामलों में नफा-नुकसान नहीं देखा जाता है। मौके पर अधिशासी अभियंता विनोद जोशी, प्रभारी सहायक नगर आयुक्त आनंद मिश्रवाण, नेता प्रतिपक्ष मनीष शर्मा, पार्षद विकास तेवतिया, राधा रमोला आदि मौजूद थे।