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ऋषिकेश: हरिद्वार रोड किनारे पर दशकों से डंप हजारों टन कचरे ने नई सियासी सुगबुगाहट पैदा कर दी है। इसकी वजह बने हैं स्थानीय पार्षद अजीत सिंह गोल्डी। कचरे के निस्तारण में बजट के पेंच फंसने के चलते देरी को लेकर पार्षद नाराज हैं। उन्होंने इस्तीफा तैयार कर लिया है।पार्षद ने फिलहाल निगम में अपना इस्तीफा भेज दिया है,अब वह इस्तीफे को एसडीएम के माध्यम से डीएम को भेजने की तैयारी में हैं। पार्षद ने यह भी साफ कर दिया है कि वह अगली दफा के नगर निकाय में चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे।
दरअसल, शहर में पिछले कुछ महीनों से डंपिंग ग्राउंड में जमा हजारों टन कचरा सियासत का भी मुद्दा बना हुआ है। दावा है कि बजट स्वीकृत है। बावजूद, शासन अवमुक्त करने को राजी होता नहीं दिख रहा है। इस बाबत पार्षद से लेकर मेयर तक राजधानी पहुंचकर सीएम और शासन में बैठे आला अफसरों को चिट्ठी सौंप चुके हैं। अब इसी मुद्दे को लेकर स्थानीय पार्षद अजीत सिंह ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कूड़ा निस्तारण में देरी का हवाला देते हुए इस्तीफा तैयार किया है, जोकि डीएम देहरादून के नाम पर है। यह इस्तीफा अभी भले ही डीएम तक न पहुंचा हो, लेकिन लोकल राजनीति के व्हाट्सएप गलियारों में तेजी से वायरल है।
हैरानी की बात यह है कि राज्य में भाजपा की सरकार है।क्षेत्रीय विधायक खुद नगर निकायों से ही जुड़े विभाग शहरी विकास के मंत्री हैं। मेयर भी सत्ताधारी बीजेपी से हैं। बावजूद, कूड़ा निस्तारण के लिए बजट की कमी। ऐसे में अक्सर कई तरह की चर्चाएं आम नजर आई हैं। पार्षद के इस्तीफा देने की तैयारी ने अब इन चर्चाओं के बीच एक नई सियासी बहस छेड़ दी है, जिसमें कहीं चर्चा जनहित, तो कहीं छवि बचाने की है। हालांकि, इस सबके बीच कूड़ा निस्तारण का काम प्रभावित है। बता दें कि, कूड़ा निस्तारण का यह मामला कई वर्षों से निकाय के चुनाव में बड़ा मुद्दा बनता रहा है।
उधर, पार्षद अजीत सिंह गोल्डी का कहना है कि इसी मुद्दे को लेकर वह चुनाव लड़े थे क्षेत्र के लोगों ने भरोसा करते हुए उन्हें जीत भी दिलाई लेकिन कूड़े के निस्तारण में होती देरी के चलते स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं। कई दफा कहने के बावजूद कार्यवाही नहीं होने के चलते इस्तीफा देना पड़ रहा है। अजीत सिंह ने यह भी कहा कि वह अगले नगर निकाय चुनाव में क्षेत्र से पार्षद का चुनाव नहीं लड़ेंगे।