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ऋषिकेश-जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में महिलाओं के अधिकार तथा कानूनी विषय पर सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में एक दिवसीय विधिक जागरूकता शिविर, का आयोजन किया । रविवार को ऋषिकेश नगर निगम के सभागार में आयोजित शिविर के दौरान मुख्य वक्ता केेे रूप मेंं हर्ष यादव सीनियर सिविल जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्राधिकरण का गठन समाज में उपेक्षित लोगों तक न्याय पहुंचाना है, क्योंकि संविधान में संवैधानिक पद पर बैठे लोगों द्वारा न्याय को समान आधार पर बढ़ावा देने के साथ यह सुनिश्चित करना है, कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक या अन्य क्षमताओं के कारण न्याय से वंचित ना रहे। इसकी परिकल्पना भी इसी भावना के अनुरूप विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1980 को अधिनियमित करते हुए की गई है। जिसमें उन लोगों की विशिष्ट श्रेणी को सूचीबद्ध किया जो मुफ्त कानूनी सेवाओं के हकदार हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत ही राष्ट्रीय राज्य जिला और तहसील के स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरण के गठन को निर्धारित किया गया है। जो देश के उपेक्षित वर्गों को न्याय की पहुंच को बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं ।विधिक सेवा संस्थान जनता तक पहुंच कर सभी को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिसके चलते आज निर्बल वर्ग को कानून की जानकारी के प्रति जागरूक कर रहा है। हर्ष यादव ने भारतीय दंड संहिता दहेज मृत्यु ,आत्महत्या, पति पत्नी के मध्य सुरक्षा महिला की लज्जा भंग होने पर किस कानून का सहारा लेना है, के साथ लैंगिक अपराधों की जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि फिर भी कोई कानून तोड़ता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।इसी के साथ उन्होंने जागरूकता शिविर में कुछ महिलाओं द्वारा उठाए गए घरेलू हिंसा के संतोषजनक उत्तर भी दिए। इसअवसर पर सुश्री उवर्शी रावत न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा किऋषिकेश, ने कहा कि आज देखने में आ रहा है, कि समाज में लगातार बलात्कार जैसी घटनाएं तेजी के साथ बढ़ रही है ।जिसे रोकने के लिए पुलिस द्वारा पोस्को कानून का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन उसमें भी कुछ खामियां देखने में आ रही है। जो कि कानून की जानकारी ना होने के कारण अपने को बचाने के लिए पुलिस द्वारा लगाई जा रही हैं ।जिस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर लगने वाले विधिक शिविर के माध्यम से महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। जिसके कारण आज महिलाएं अबला नहीं सबला हो गई है, लेकिन महिलाएं भी इस कानूनी सहायता का गलत उपयोग कर रही है ।जिसे हमें समझने की आवश्यकता है ।उन्होंने कहां की मौलिक अधिकार संविधान महिलाओं को समानता का दर्जा देता है। जिसकी संपूर्ण जानकारी महिलाओं को आवश्यक है। पोक्सो एक्ट के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिलाओं या लड़कियों के नाम पुलिस द्वारा उजागर नहीं किया जाता ।जिसके लिए प्रेस एक्ट में जानकारी दी गई है । उन्होंने कहा कि पुलिस को भी किस एक्ट में निर्देशित किया गया है, पति या किसी दुराचारी द्वारा कुकर्म किया जाता है। उसके लिए भी कानून बना है। जिसके लिए विधिक प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को निशुल्क कानूनी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
नगर निगम ऋषिकेश के मुख्य आयुक्त राहुल गोयल ने कहा कि वर्तमान समय में मनुष्य हो या महिलाएं सबके लिए समान कानून बना है। लेकिन उसके बावजूद भी महिलाओं में जागरूकता के अभाव में महिलाओं पर ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, जिसका एक कारण लिंग भेद का होना भी है। जिसके कारण भ्रूण हत्याए बढ़ रही है, जिसे रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहां के समाज में दोनों को समान अधिकार दिया गया है ।इसके बावजूद समाज में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जो कि चिंता का विषय है। उसके कारण लिंग अनुपात के चलते बालिकाओं की समाज में भी कमी आ रही है। जिसे रोके जाने के लिए हमें संविधान में मौलिक अधिकार दिए हैं। नगर आयुक्त ने इस दौरान नगर निगम के द्वारा किए जा रहे जनहित कार्यों की भी विस्तृत रूप से जानकारी दी। सूरज मणि सिल्सवाल के संचालन में आयोजित जागरूकता शिविर में हर्ष यादव सीनियर सिविल जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून, सुश्री उवर्शी रावत न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश, अमृता शर्मा तहसीलदार ऋषिकेश, राहुल गोयल नगर आयुक्त ऋषिकेश, मधु नेगी पैनल लॉयर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून। पी एल वी विभा नामदेव, सूरजमणी सिलस्वाल, मीनाक्षी कपरूवान, ममता रमोला, मधु श्री, ममता रावत, रेखा नेगी आदि उपस्तिथ थे।