ऋषिकेश–बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों की लगातार कटान की वजह से आज छोटी सी प्यारी सी दिखने वाली गौरैया विलुप्ति की कगार पर है,गौरैया बचाने को लेकर जयराम आश्रम ट्रस्ट के द्वारा विशेष पहल की गई है,आश्रम की पहल की वजह से आश्रम में गौरैया की चहचहाहट भी सुनने को मिलने लगी है।
कभी आंगन की चिड़िया कही जाने वाली गौरैया तड़के से ही घरों की मुंडेरों पर ही चीं चीं की आवाजों से लोगों की नींद खुलवा देती थी, लेकिन प्रदूषण और आधुनिकता ने बेहद प्यारी लगने वाली गौरैया को आज विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया है। इसके संरक्षण की ओर से जहां पर्यावरण के संरक्षण का दम भरती सामाजिक संस्थाएं खामोश हैं। वहीं केंद्र व प्रदेश सरकारें भी कुछ नहीं कर पा रही हैं।
लेकिन कुछ सामाजिक संस्थाएं लगातार गौरैया को बचाने को लेकर अलग-अलग तरह के प्रयोग करते नजर आ रहे हैं इसी कड़ी में ऋषिकेश स्थित जयराम आश्रम ट्रस्ट के द्वारा गौरैया बचाने को लेकर आश्रम के कमरों के बाहर लकड़ी के बेहद ही खूबसूरत घोसल लगाए हैं इन घोसलों में प्रतिदिन आश्रम प्रबंधन के द्वारा गौरैया के लिए दाने भी डाले जाते हैं, आज आलम या हो गया है कि आश्रम के भीतर बड़ी संख्या में गौरैया ने अपना आशियाना बना लिया है आश्रम के भीतर चीं-चीं करती गौरैया की चहचहाहट सुनने को मिलने लगी है।
जयराम आश्रम प्रतिनिधि प्रदीप शर्मा ने बताया कि जयराम आश्रम के भीतर 31 कमरों के बाहर गौरैया के रहने के लिए घोंसले बनाए गए हैं,उन्होंने कहा कि इन सभी घोसलों में अब गौरैया रहने लगी है,प्रदीप शर्मा ने बताया कि पहले अक्सर घर के आंगन में सुंदर और प्यारी सी दिखने वाली गौरैया खेलते हुए नजर आती थी, लेकिन लगातार पेड़ों की कटान और बढ़ते प्रदूषण की वजह से अब गौरैया देखने को नहीं मिलती है, यही कारण है कि आश्रम के द्वारा गौरैया बचाने को लेकर यह पहल की गई है।