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ऋषिकेश:उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य सावन महीने की शिवरात्रि के दिन हरिद्वार से कावड़ लेकर पैदल वीरभद्र महादेव मंदिर पहुंची। उन्होंने वीरभद्र महादेव का विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद जलाभिषेक किया। मंदिर के पुजारी ने मंत्री के हाथों से रुद्राभिषेक भी करवाया। हरिद्वार से ऋषिकेश तक कैबिनेट मंत्री का जगह-जगह महिलाओं ने पुष्प वर्षा के साथ स्वागत भी किया। इस दौरान कैबिनेट मंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे के अंतर्गत 2025 तक उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात को बराबर करने के लक्ष्य का शुभारंभ किया।
वीरभद्र महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद महिला एवं सशक्तिकरण बाल विकास विभाग कि मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य में बेटों के मुकाबले बेटियों का अनुपात कम है। जिसे बराबर करने की अपील को लेकर उन्होंने हरिद्वार की हरकी पैड़ी से ऋषिकेश के वीरभद्र महादेव मंदिर तक पैदल कांवड़ यात्रा करी है। इस दौरान उन्होंने शिव के माह में शक्ति का संकल्प लेने की अपील महिलाओं से की है। बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तो राज्य की सरकार दे रही है लेकिन इस नारे को धरातल पर उतारने के लिए लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। बेटी बोझ नहीं है। बेटी राजनीतिक सामाजिक धार्मिक और सांसारिक गतिविधियों में बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में सक्षम है। आज बेटी जहां हवाई जहाज और सेना के फाइटर प्लेन को उड़ाने में अपनी दक्षता दिखा रही है। वही देश की दो महिलाएं राष्ट्रपति भी बन चुकी हैं। पढ़ाई के मामले में भी बेटियां बेटों को पीछे छोड़ते हुए नजर आ रही हैं। फिर भी बेटियों का कम अनुपात सरकार के लिए चिंता का विषय है। इसलिए उत्तराखंड के अंदर बेटियों के कम अनुपात को बेटों के बराबर लाने के लिए उन्होंने मुहिम चलानी शुरू की है। सरकार ने 2025 तक बाल लिंग अनुपात बराबर करने का लक्ष्य रखा है। जिसे जन जागरूकता से ही पूरा किया जा सकता है। मौके पर एसपी देहात कमलेश उपाध्याय एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी तहसीलदार अमृता शर्मा सहित अन्य कई अधिकारी उपस्थित रहे।
ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाई ने कहा कि मंत्री रेखा आर्य के दृढ़ निश्चय को देखकर सभी महिलाओं को एक हौसला मिलता है। जिस प्रकार से वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को साकार करने के प्रयास में जुटी हुई हैं। उसके लिए राज्य की हर महिला को मंत्री रेखा आर्य के साथ मिलकर इस नारे को सफल बनाने में अपना अहम योगदान देना चाहिए। यदि आज भी किसी परिवार में भ्रूण हत्या जैसा अपराध हो रहा है तो इसके लिए महिलाओं को आवाज उठानी चाहिए। जिससे कि वर्ष 2025 में जो लक्ष्य लिंग अनुपात बराबर करने का सरकार की ओर से रखा गया है उसे पूरा किया जा सके। भ्रूण हत्या रोकने से जहां बेटियों को सम्मान अधिक मिलेगा, वही घरेलू हिंसा में भी कमी आएगी।

