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ऋषिकेश:फाल्गुन पूर्णिमा विश्वभर में होली के पर्व के रूप में मनायी जाती है। इसी दिन सन 1486 में पश्चिम बंगाल स्थित नवद्वीप मायापुर में श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव हुआ था, जिसे गौड़ीय वैष्णव बड़ी धूम धाम से मानाते हैं। शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु वास्तव में भगवान श्री कृष्ण ही अपने भक्त के रूप में अवतरित होकर सम्पूर्ण विश्वभर में हरिनाम संकीर्तन का आंदोलन शुरू करते हैं।
ISKCON ऋषिकेश के भक्तों ने भी गौर पूर्णिमा उत्सव बहुत ही विशाल आयोजन के साथ आवास विकास कॉलोनी स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में हज़ारों भक्तों और अतिथियों के सहभाग से बनाया। भक्तों ने गौरांग महाप्रभु का शुद्ध द्रव्यों, पंचगव्य, पंचामृत और फलों के रसों से भव्य अभिषेक किया, संकीर्तन किया और महा आरती किया। ISKCON ऋषिकेश के वरिष्ठ भक्त श्रीमान दीन गोपाल दास बताया की भक्तों ने एक बहुत मार्मिक और सुंदर नाटिका प्रस्तुत की जिसमें किस तरह जब श्री चैतन्य महाप्रभु के समय एक क्रूर विधर्मी क़ाज़ी ने हरिनाम संकीर्तन में प्रतिबंध लगाया था, तब श्री गौरांग ने सैंकड़ों भक्तों जुलूस के साथ मायापुर नगर में संकीर्तन किया जिससे क़ाज़ी भयभीत हो गया और तब से पुनः संकीर्तन कार्यक्रम आजतक बिना किसी विघ्न के चल रहा है। सभी दर्शकों ने बड़े उल्लास के साथ नाट्य कलाकारों का अभिवादन किया।
कार्यक्रम के अंत में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु, नित्यानंद प्रभु और श्री राधा कृष्ण को भक्तों द्वारा बनाए 108 विविध व्यंजनों का भोग लगा और सभी को भरपूर मात्रा में प्रसाद वितरण किया। कार्यक्रम में ISKCON ऋषिकेश के वरिष्ठ हरे कृष्ण दास, दीन गोपाल दास, सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानआचार्य राजेंद्र प्रसाद, जगदीश्वर प्राण दास, पार्थ, डॉ. राजेश, प्रदीप पांडे, रोहन, हेमंत, अंशु आहूजा, रचना कुंदनानी, अमेरिका और यूरोप के पर्यटकों के साथ लगभग 1000 भक्तों और आवास विकास कॉलोनी के निवासी और अतिथियों ने हर्षोल्लास साथ कीर्तन करके भाग लिया।