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ऋषिकेश:ऋषिकेश,राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गुजरने वाले हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग पर एक बार फिर वन्यजीव और तेज रफ्तार ट्रेन का टकराव देखने को मिला है। सोमवार (1 दिसंबर 2025) की सुबह, मोतीचूर रेलवे स्टेशन और रायवाला के बीच हावड़ा एक्सप्रेस की चपेट में आने से लगभग छह से आठ वर्ष के एक शिशु नर हाथी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
दुर्घटना का विवरण
यह हादसा उस वक्त हुआ जब हाथियों का एक झुंड जंगल से निकलकर रेलवे ट्रैक पार कर रहा था। बताया जा रहा है कि अधिक रफ्तार होने के कारण ट्रेन चालक ने हाथियों के झुंड को देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन दूरी कम होने के चलते हादसा नहीं टाला जा सका। शिशु हाथी ट्रेन के इंजन के नीचे आ गया और उसकी तुरंत मौत हो गई।
यह इलाका राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के अंतर्गत आता है, जिसे हाथियों के आवागमन (एलिफेंट कॉरिडोर) के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।
तीन घंटे बाधित रहा रेल यातायात
दुर्घटना के बाद हाथी का शव ट्रैक पर फंस गया, जिसके कारण हरिद्वार-देहरादून रेल खंड पर यातायात करीब तीन घंटे तक बाधित रहा। इसकी सूचना मिलने पर राजाजी टाइगर रिजर्व के वनकर्मी, वन विभाग के आला अधिकारी और जीआरपी की टीमें मौके पर पहुंचीं। वनकर्मियों ने हाथी के शव को ट्रैक से हटवाया और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू करवाई।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का आक्रोश
स्थानीय लोग और वन्यजीव प्रेमी इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। उनका आरोप है कि यह क्षेत्र हाथियों की नियमित आवाजाही का इलाका है, फिर भी ट्रेनों की रफ्तार नियंत्रित नहीं की जाती है।
समन्वय की कमी: स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे और वन विभाग के बीच समन्वय (coordination) की कमी है, जिसके कारण ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं।
संवेदनशील क्षेत्र: यह ट्रैक वर्षों से हाथियों के लिए ‘मौत का गलियारा‘ बन चुका है। रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में इस ट्रैक पर 30 से अधिक हाथियों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई शिशु हाथी शामिल हैं।
वन विभाग ने चालक की ओर से लापरवाही की संभावना को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। इस हादसे ने एक बार फिर संवेदनशील वन क्षेत्रों से गुजरने वाली ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने और हाथियों के संरक्षण के लिए ठोस उपाय करने की आवश्यकता पर बल दिया है।







