
Nitya Samachar UK
ऋषिकेश:अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले एम्स(AIIMS) की एक और भ्रष्टाचार की फाइल खुल गई है। एम्स(AIIMS) ऋषिकेश के कार्डियोलॉजी विभाग में 16 बेड की केयर यूनिट के निर्माण में धांधली और बड़ा घोटाले का उजागर हुआ है। मामले में सीबीआई ने एम्स(AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉक्टर रविकांत, एडिशनल प्रोफेसर राजेश पसरिया और स्टोर कीपर रूप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। मामले में अग्रिम जांच और कार्रवाई शुरू हो गई है।
बता दें कि बीती 26 मार्च को सीबीआई ने एम्स ऋषिकेश में छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलॉजी विभाग में 16 बेड की केयर यूनिट की जांच की गई। जांच में पता चला कि निर्माण में कई प्रकार की धांधली और घोटाला हुआ है। आरोप है कि टेंडर जारी करने के बाद उपकरण नहीं खरीदे गए और जो उपकरण केयर यूनिट में लगाए गए उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है। बावजुद इसके ठेकेदार को 8 करोड रुपए का भुगतान कर दिया गया है। यह ठेका 5 दिसंबर 2017 को दिल्ली की कंपनी को दिया गया था। वर्ष 2019 और 20 के बीच में सामान की खरीदारी हुई थी। बावजूद इसके 16 बेड की केयर यूनिट एक भी दिन नहीं चली। जिसका लाभ आज तक मरीजों को नहीं मिला। मामले में जांच के बाद सीबीआई ने पूर्व निदेशक एम्स डॉक्टर रविकांत, एडिशनल प्रोफेसर राजेश पसरिया और स्टोर कीपर रूप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच को आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। यह भी जानकारी मिली है कि केयर यूनिट के निर्माण से संबंधित फाइल भी गुम हो चुकी है। ऐसे में धांधली और घोटाले की परते और ज्यादा खुलने की उम्मीद है। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि एम्स ऋषिकेश में अब तक सीबीआई की टीम 3 से 4 बार छापेमारी कर चुकी है और कई मामलों में अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कर चुकी है। इसके बाद भी एम्स का विवादों से पीछा छूटता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
यह तो बात घोटाले की है। इसके अलावा एम्स में आने वाले मरीजों को इलाज करने में किन प्रकार की परेशानियों को झेलना पड़ रहा है यह भी किसी से छिपा नहीं है। सबसे ज्यादा परेशानी एम्स में मरीजों को बेड नहीं मिलने की देखी जाती है। गलती से बेड मिल जाए तो उसके बाद इलाज के लिए जो तारीख पर तारीख मिलती है। वह मरीज की जान पर पल-पल भारी पड़ती रहती है। कई बार लोग मामले में अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं। लेकिन बेड की कमी होने का दावा करने वाले एम्स में कोई सुधार नहीं हुआ है।
पूर्व निदेशक रविकांत का बयान
Nitya Samachar UK को जानकारी देते हर पूर्व निदेशक रविकांत ने कहा की पिछले चार वर्षों से जब से मैंने संस्थान छोड़ा है, और इन स्टोर मामलों की तत्कालीन निदेशक द्वारा निगरानी नहीं की गई है। मैं स्टोर अधिकारी नहीं हूँ, स्टोर सत्यापन अधिकारी नहीं हूँ, स्टोर का सुरक्षा गार्ड नहीं हूँ। मैं लेखा अधिकारी नहीं हूँ जो बिल में प्रविष्टियों का सत्यापन करता है और वित्तीय नियमों की जाँच करता है। मैं वित्तीय सलाहकार नहीं हूँ जो वित्तीय नियमों की जाँच करता है और बिल को मंजूरी देता है, मैं प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं हूँ जो बिल को मंजूरी देता है और सत्यापित करता है कि प्रशासनिक नियमों का अनुपालन किया गया है। मैं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी नहीं हूँ जो बिलों का सत्यापन करता है। बिलों को फिर से उप निदेशक प्रशासन (आईएएस या संबद्ध) द्वारा सत्यापित किया जाता है जो बिल को मंजूरी देते हैं और प्रमाणित करते हैं कि प्रशासनिक नियमों का अनुपालन किया गया है। निविदा हमेशा क्रय समिति द्वारा अनुमोदित की जाती है, और वित्तीय नियमों के लिए लेखा अधिकारी और वित्तीय सलाहकार दोनों द्वारा और प्रशासनिक नियमों के लिए प्रशासनिक अधिकारी और उप निदेशक प्रशासन द्वारा सत्यापित की जाती है
In last four years since I have left the institute, and these store matters are not supervised by the then Director. I am not a store officer, not a store verification officer, not a security guard of stores. I am not the accont officer who verifies entry in the bill and check the financial rules. I am not Financial Advisor who checks the Financial rules & approves the bill, I am also not the Administrative officer who approves the bill and verifies that administrative rules have been complied with. I am also not the Senior Administrative Officer who verifies the bills. The bills are again verfied by the Deputy Director Administration (IAS or allied) who approves the bill and certifies that administrative rules have been complied with. The tender is always approved by Purchase Committee, and further verified both by Account Officer AND Financial Advisor for financial rules & by Administrative Officer AND Deputy Director Administration for administrative rules. Financial Advisor & Deputy Director Administration-both of them are appointed by central ministry.
I deny these allegations. This is pure vilification program.